Wednesday, May 29, 2013

दलित के खेत पर बना थाना, बदले में मिले 38 मुकदमे



सीतापुर। मुख्यमंत्री मायावती के दौरे खत्म हो गए। तमाम कार्रवाइयां
हुईं। लेकिन इंसाफ के लिए इंतजार कर रहे एक दलित परिवार को मिला तो एक और
मुकदमा। जी हां, इस परिवार की महिला से लेकर 12 साल तक के बच्चे पर पुलिस
दर्ज कर चुकी है मुकदमे। उसके बेटे का किया जा चुका है एनकाउंटर। उसका
कसूर सिर्फ इतना है कि वो अपना खेत वापस चाहता है। वो खेत जिसपर पुलिस ने
बना लिया है थाना। अब वो पूरा कुनबा है उसी थाने का मुजरिम।

इस दलित परिवार पर 38 मुकदमे हैं। चाहे साठ साल का बूढ़ा हो या 12 साल का
बच्चा। हर एक सदस्य पर मुकदमे हैं। इनका गुनाह सिर्फ इतना है कि ये दलित
हैं, गरीब हैं और अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं। असल में उत्तर
प्रदेश के सीतापुर जिले के रहने वाले इस परिवार की जमीन पर एक थाना बना
हुआ है। और 1993 से इस जमीन को थाने के कब्जे से छुड़ाने के लिए ये
परिवार अदालती लड़ाई लड़ रहा है। अदालती लड़ाई में जीत तो मिली। लेकिन
पुलिस की दबंगई इन्हें हर रोज हरा रही है।


सीतापुर जिले का थाना अटारिया गाटा संख्या 514 पर बना है जो कि लालता के
नाम पर है। 1993 में ये थाना बना और उसका उद्घाटन तत्कालीन डीजीपी प्रकाश
सिंह ने किया। उसके तीन दिन बाद लालता के भतीजे संतोष ने सीतापुर कोर्ट
में पुलिस के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। बस यहीं से शुरू हुआ लालता के
परिवार पर पुलिसिया कहर। पुलिस ने लालता के बेटे मनोज पर 2006 तक लूट,
डकैती, हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट सहित कुल 11 मुकदमे दर्ज किए।
2006 में पुलिस ने मनोज को मार गिराया। लेकिन जांच में ये साबित हुआ कि
ये मुठभेड़ असल में हत्या थी। 2007 में ये रिपोर्ट मुख्यमंत्री के पास
भेजी गई लेकिन आज तक दोषी पुलिस वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुए।

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